Monday, 10 February 2014

किस काम का है

इनआम नहीं ये काम  का है ।
जल्वा तो फ़क़त ये नाम  का है ॥

जिस शेर का मतलब पूछ लिया ।
वो शेर भला किस काम  का है ॥

 इस ख़त में क्यूँ मेरा नाम लिखा ।
ये ख़त तो किसी गुमनाम  का है ॥

हर सिम्त जो तेरा ज़िक्र हुआ ।
ये काम तेरे बदनाम  का है ॥

मिलना था उन्हें तो आज अभी ।
अब वक़्त मुक़र्र शाम  का है ॥

शुरुआत करें तो कैसे करें ।
बस डर जो उन्हें अंजाम  का है ॥

अब और ग़ज़ल 'सैनी'  न कहो ।
ये वक़्त अभी आराम  का है ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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