तेरे दिल का उजास (उजाला) ही तो हूँ ।
तेरा हमदर्द ख़ास ही तो हूँ ॥
क्यूँ मुझे तू तलाश करता है ।
मैं तेरे आस-पास ही तो हूँ ॥
और तो ठीक -ठाक है सब कुछ ।
बस ज़रा सा उदास ही तो हूँ ॥
जो चहेतों में था तेरे अब तक ।
देख मैं वो ख़िलास ही तो हूँ ॥
जिसमें मेरा वुजूद पिसता है ।
वक़्त की इक ख़रास ही तो हूँ ॥
ख़ाब देखे सुनहरे कल के जो ।
वो फ़क़त इक क़ियास ही तो हूँ ॥
रोज़ 'सैनी' जो घोल देता है ।
वो ग़ज़ल में मिठास ही तो हूँ ॥
डा०सुरेन्द्र सैनी
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