Monday, 31 March 2014

मेरा वुजूद पिसता है


तेरे दिल का उजास (उजाला) ही तो हूँ । 
तेरा हमदर्द ख़ास ही तो हूँ ॥ 

क्यूँ मुझे तू तलाश करता है । 
मैं तेरे आस-पास ही तो हूँ ॥ 

और तो ठीक -ठाक है सब कुछ ।
बस ज़रा सा उदास ही तो हूँ ॥ 

जो चहेतों में था तेरे अब तक । 
देख मैं वो ख़िलास ही तो हूँ ॥ 

जिसमें मेरा वुजूद पिसता  है ।  
वक़्त की इक ख़रास ही तो हूँ ॥ 

ख़ाब देखे सुनहरे कल के जो । 
वो फ़क़त इक क़ियास ही तो हूँ ॥ 

रोज़ 'सैनी' जो घोल देता है । 
वो ग़ज़ल में मिठास ही तो हूँ ॥ 

डा०सुरेन्द्र सैनी  

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