चँचल मन है, बूढ़ा तन है ,बेबस आने -जाने से ।
साक़ी अब तो घर भिजवादे थोड़ी सी मैख़ाने से ॥
कैसी भी मुश्किल हो हिम्मत के आगे घबराती है ।
मुश्किल बढ़ जाती है साहिब मुश्किल में घबराने से ॥
अफ़साने बन जाते हैं क्यूँ छोटी-छोटी बातो के ।
ग़लती हो जाती है सबसे जाने या अन्जाने से ॥
मत पीना -मत पीना अक्सर सब कहते तक़रीरों में ।
पर क्यूँ पीता है क्या जाकर पूछा है दीवाने से ॥
दिल का दर्द वही समझे है जिसके दिल पे गुज़रे है ।
और फ़ज़ीहत बढ़ जाती है दिल का दर्द सुनाने से ॥
दरहम -बरहम हालत अपनी तन्हाई के आलम में ।
चेहरे की रंगत बदली है आज तुम्हारे आने से ॥
ख़ुशफ़हमी में हो 'सैनी' का दामन मैला कर दोगे ।
"सूरज पर कुछ फ़र्क़ नहीं आता है धूल उड़ाने से "॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
साक़ी अब तो घर भिजवादे थोड़ी सी मैख़ाने से ॥
कैसी भी मुश्किल हो हिम्मत के आगे घबराती है ।
मुश्किल बढ़ जाती है साहिब मुश्किल में घबराने से ॥
अफ़साने बन जाते हैं क्यूँ छोटी-छोटी बातो के ।
ग़लती हो जाती है सबसे जाने या अन्जाने से ॥
मत पीना -मत पीना अक्सर सब कहते तक़रीरों में ।
पर क्यूँ पीता है क्या जाकर पूछा है दीवाने से ॥
दिल का दर्द वही समझे है जिसके दिल पे गुज़रे है ।
और फ़ज़ीहत बढ़ जाती है दिल का दर्द सुनाने से ॥
दरहम -बरहम हालत अपनी तन्हाई के आलम में ।
चेहरे की रंगत बदली है आज तुम्हारे आने से ॥
ख़ुशफ़हमी में हो 'सैनी' का दामन मैला कर दोगे ।
"सूरज पर कुछ फ़र्क़ नहीं आता है धूल उड़ाने से "॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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