दिन-ओ-दिन झूठ बोला जा रहा है ।
फ़ज़ा में ज़ह्र घोला जा रहा है ॥
नहीं ये शख़्स भोला जा रहा है ।
हक़ीक़त में सपोला जा रहा है ॥
करेंगे प्यार का इज़हार उनसे ।
"अभी तो मन टटोला जा रहा "॥
कमाई रोज़ की जिनकी करोडो ।
उन्हें सिक्कों में तोला जा रहा है ॥
लुटा कर आज मैं सब कुछ खड़ा हूँ ।
मेरे ख़ाबों का डोला जा रहा है ॥
जहाँ आबाद अम्न-ओ-चैन हर सू ।
वहीं बारूद गोला जा रहा है ॥
ख़ुदाया ख़ाक हो जाए हवा में ।
हवा में जो ये शोला जा रहा है ॥
निक़ाब अब डाल लीजे आप रुख़ पर \
मेरा ईमान डोला जा रहा है ॥
नहीं धेला मिला 'सैनी'को अब तक ।
ख़ज़ाना रोज़ खोला जा रहा है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
फ़ज़ा में ज़ह्र घोला जा रहा है ॥
नहीं ये शख़्स भोला जा रहा है ।
हक़ीक़त में सपोला जा रहा है ॥
करेंगे प्यार का इज़हार उनसे ।
"अभी तो मन टटोला जा रहा "॥
कमाई रोज़ की जिनकी करोडो ।
उन्हें सिक्कों में तोला जा रहा है ॥
लुटा कर आज मैं सब कुछ खड़ा हूँ ।
मेरे ख़ाबों का डोला जा रहा है ॥
जहाँ आबाद अम्न-ओ-चैन हर सू ।
वहीं बारूद गोला जा रहा है ॥
ख़ुदाया ख़ाक हो जाए हवा में ।
हवा में जो ये शोला जा रहा है ॥
निक़ाब अब डाल लीजे आप रुख़ पर \
मेरा ईमान डोला जा रहा है ॥
नहीं धेला मिला 'सैनी'को अब तक ।
ख़ज़ाना रोज़ खोला जा रहा है ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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