Sunday, 20 April 2014

प्यार का इज़हार

दिन-ओ-दिन झूठ बोला जा रहा है । 
फ़ज़ा में ज़ह्र घोला जा रहा है ॥ 

नहीं ये शख़्स भोला जा रहा है । 
हक़ीक़त में सपोला जा रहा है ॥ 

करेंगे प्यार का इज़हार उनसे । 
"अभी तो मन टटोला जा रहा "॥ 

कमाई रोज़ की जिनकी करोडो । 
उन्हें सिक्कों में तोला जा रहा है ॥ 

लुटा कर आज मैं सब कुछ खड़ा हूँ । 
मेरे ख़ाबों का डोला जा रहा है ॥ 

जहाँ आबाद अम्न-ओ-चैन हर सू । 
वहीं बारूद गोला जा रहा है ॥ 

ख़ुदाया ख़ाक हो जाए हवा में । 
हवा में जो ये शोला जा रहा है ॥ 

निक़ाब अब डाल लीजे आप रुख़ पर \ 
मेरा ईमान डोला जा रहा है ॥ 

नहीं धेला मिला 'सैनी'को अब तक । 
ख़ज़ाना रोज़ खोला जा रहा है ॥ 

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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