Monday, 24 March 2014

याद किये जाता हूँ

वक़्त बेवक़्त तुझे याद किये जाता हूँ । 
तेरे आने के तस्स्वुर में जिये जाता हूँ ॥ 

मेरे अश्कों से न जुड़ जाए कहीं तेरा नाम । 
ज़ब्त अश्कों को मैं आँखों में किये जाता हूँ ॥ 

नाम अब जोड़ दिया मैंने ख़ुदा से तेरा । 
मैं तो हर वक़्त तेरा नाम लिये जाता हूँ ॥ 

ज़ख़्म देते रहे जो मुझको ज़माने वाले । 
तेरी यादों के ही धागों से सिये जाता हूँ ॥ 

मैं तो मकतब में पढ़ाता हूँ सबक़ उल्फ़त  का । 
आओ तुमको भी मैं कुछ इल्म दिये जाता हूँ ॥ 

अब तो कतराने लगे आगे क़दम बढ़ने से । 
ज़िंदगी रुक गई आराम किये जाता हूँ ॥ 

जब भी 'सैनी' की मुझे याद बहुत आती है । 
जाम पे जाम लगातार पिये जाता हूँ ॥ 

डा० सुरेन्द्र सैनी  

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