Wednesday, 23 July 2014

लहू-लहू रखना

ख़ुद को जब उनके रूबरू रखना । 
मुख़्तसर सी ही गुफ़्तगू रखना ॥

इश्क़ का एक ही तो मतलब है । 
"दिल को अपने लहू-लहू रखना "॥

मुझको महंगा पड़ा हमेशा ही । 
उनसे मिलने की आरज़ू रखना ॥

सब पे आयद है आज ये जिम्मा । 
अपने गुलशन को ख़ूबरू रखना ॥

कब मुसीबत कहाँ से आ जाए । 
अपनी नज़रों को चार सू रखना ॥

और कुछ हो न हो ज़माने में । 
सोच घटिया कभी न तू रखना ॥

दिल तो मासूम है बड़ा इस पर । 
बोझ हरगिज़ न फ़ालतू रखना ॥

जिस वतन में जनम लिया तुमने । 
उसकी महफूज़ आबरू रखना ॥

आज तू सीख ले ये 'सैनी' से । 
दिल जवाँ चेहरा सुर्ख़रू रखना ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी

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