"बहुत मसरूफ़ है ख़ुद में ज़माना | "
फ़ुज़ूल उसको है अपना ग़म सुनाना ||
मुहब्बत का शजर जब भी लगाना |
समर मीठा हो एसा ढूंढ लाना ||
मुक़ाबिल आप सी जब शख़्सियत है |
मिरी ख़ुशक़िस्मती है हार जाना ||
रही है चित तुम्हारी पट तुम्हारी |
बड़ा मुश्किल है तुम से पार पाना ||
लिहाज़ अब तो करो कुछ उम्र का तुम |
अरे अब छोड़ भी दीजे सताना ||
किसी की आँख में जब भी नमी हो |
ग़ज़ल मेरी उसे फ़ौरन सुनाना ||
बड़ा मज़बूत है सीना हमारा |
तुम्हारा दिल करे जब आज़माना |
भरी है आशिक़ी नग़मों मेरे |
सुखन मेरा नहीं है सूफ़ियाना ||
चले आओ तुम्हे ‘सैनी’ बुलाये |
सजा है उसके दिल का आशियाना ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
फ़ुज़ूल उसको है अपना ग़म सुनाना ||
मुहब्बत का शजर जब भी लगाना |
समर मीठा हो एसा ढूंढ लाना ||
मुक़ाबिल आप सी जब शख़्सियत है |
मिरी ख़ुशक़िस्मती है हार जाना ||
रही है चित तुम्हारी पट तुम्हारी |
बड़ा मुश्किल है तुम से पार पाना ||
लिहाज़ अब तो करो कुछ उम्र का तुम |
अरे अब छोड़ भी दीजे सताना ||
किसी की आँख में जब भी नमी हो |
ग़ज़ल मेरी उसे फ़ौरन सुनाना ||
बड़ा मज़बूत है सीना हमारा |
तुम्हारा दिल करे जब आज़माना |
भरी है आशिक़ी नग़मों मेरे |
सुखन मेरा नहीं है सूफ़ियाना ||
चले आओ तुम्हे ‘सैनी’ बुलाये |
सजा है उसके दिल का आशियाना ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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