ख़ुदा की बंदगी में जब किसी का ध्यान हो जाए |
मुसीबत हो बड़ी कितनी वही आसान हो जाए ||
इनायत जब भी मौला की किसी पर हो उसी पल वो |
समझिएगा बशर वो नेक दिल इंसान हो जाए ||
ख़ुदा रहता नहीं अन्जान हरगिज़ अपने बन्दों से |
भले ही आदमी उससे कभी अनजान हो जाए ||
नज़र में हो हया मेरी सुखन में हो सदाक़त बस |
ख़ुदाया हस्ती ये मेरी अज़ीमुश्शान हो जाए ||
झुका दूँ सर मैं तेरे सामने ये है मेरी चाहत |
तेरे दरबार में पूरा ये बस अरमान हो जाए ||
इबादत कर सके तेरी ज़बां में है कहाँ हिम्मत |
तू मन की जान ले मुझ पर तेरा एहसान हो जाए ||
नहीं हिम्मत है ‘सैनी’ में तुझे ढूंढे वो दुन्या में |
मेरे मौला तू उसके दिल का ही मेहमान हो जाए ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
मुसीबत हो बड़ी कितनी वही आसान हो जाए ||
इनायत जब भी मौला की किसी पर हो उसी पल वो |
समझिएगा बशर वो नेक दिल इंसान हो जाए ||
ख़ुदा रहता नहीं अन्जान हरगिज़ अपने बन्दों से |
भले ही आदमी उससे कभी अनजान हो जाए ||
नज़र में हो हया मेरी सुखन में हो सदाक़त बस |
ख़ुदाया हस्ती ये मेरी अज़ीमुश्शान हो जाए ||
झुका दूँ सर मैं तेरे सामने ये है मेरी चाहत |
तेरे दरबार में पूरा ये बस अरमान हो जाए ||
इबादत कर सके तेरी ज़बां में है कहाँ हिम्मत |
तू मन की जान ले मुझ पर तेरा एहसान हो जाए ||
नहीं हिम्मत है ‘सैनी’ में तुझे ढूंढे वो दुन्या में |
मेरे मौला तू उसके दिल का ही मेहमान हो जाए ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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