एक दूजे को फ़ना करने को हैं तैयार लोग ।
हर तरफ़ लेकर खड़े हैं हाथ में तलवार लोग ॥
मैं जहाँ हूँ मस्त हूँ वो फ़िक़्र मेरी छोड़ दें ।
क्यूँ मेरे बारे में इतना सोचते बेकार लोग ॥
जिन्स में कर दी मिलावट तो नतीजा देखिये ।
"अब नज़र आने लगे हैं हर तरफ़ बीमार लोग "॥
इश्क़ जैसी पाक शय को भी नहीं बख़्शा गया ।
इसका भी करने लगे हैं आज कारोबार लोग ॥
हैं परीशाँ आज अपनी ख़ुद की बीमारी से सब ।
क्या करेंगे अब किसी बीमार की तीमार लोग ॥
बात खुल कर क्या ज़रा सी की किसी ख़ातून ने ।
झट से झूठे प्यार का बस करते हैं इज़हार लोग ॥
तू अगर 'सैनी' के बारे में भी थोड़ा सोच ले ।
फिर तो उसको इस जहाँ में देंगे अपना प्यार लोग ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
हर तरफ़ लेकर खड़े हैं हाथ में तलवार लोग ॥
मैं जहाँ हूँ मस्त हूँ वो फ़िक़्र मेरी छोड़ दें ।
क्यूँ मेरे बारे में इतना सोचते बेकार लोग ॥
जिन्स में कर दी मिलावट तो नतीजा देखिये ।
"अब नज़र आने लगे हैं हर तरफ़ बीमार लोग "॥
इश्क़ जैसी पाक शय को भी नहीं बख़्शा गया ।
इसका भी करने लगे हैं आज कारोबार लोग ॥
हैं परीशाँ आज अपनी ख़ुद की बीमारी से सब ।
क्या करेंगे अब किसी बीमार की तीमार लोग ॥
बात खुल कर क्या ज़रा सी की किसी ख़ातून ने ।
झट से झूठे प्यार का बस करते हैं इज़हार लोग ॥
तू अगर 'सैनी' के बारे में भी थोड़ा सोच ले ।
फिर तो उसको इस जहाँ में देंगे अपना प्यार लोग ॥
डा० सुरेन्द्र सैनी
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