Sunday, 8 June 2014

बीमार लोग

एक दूजे को फ़ना करने को हैं तैयार लोग । 
हर तरफ़ लेकर खड़े हैं हाथ में तलवार लोग ॥

मैं जहाँ हूँ मस्त हूँ वो फ़िक़्र मेरी छोड़ दें । 
क्यूँ मेरे बारे में इतना सोचते बेकार लोग ॥

जिन्स में कर दी मिलावट तो नतीजा देखिये । 
"अब नज़र आने लगे हैं हर तरफ़ बीमार लोग "॥

इश्क़ जैसी पाक शय को भी नहीं बख़्शा गया । 
इसका भी करने लगे हैं आज कारोबार लोग ॥

हैं परीशाँ आज अपनी ख़ुद की बीमारी से सब । 
क्या करेंगे अब किसी बीमार की तीमार लोग ॥

बात खुल कर क्या ज़रा सी की किसी ख़ातून ने । 
झट से झूठे प्यार का बस करते हैं इज़हार लोग ॥

तू अगर 'सैनी' के बारे में भी थोड़ा सोच ले । 
फिर तो उसको इस जहाँ में देंगे अपना प्यार लोग ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी

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