सितम का सिलसिला कब तक रहेगा ।
सनम से फ़ासिला कब तक रहेगा ॥
शराफ़त में लुटा है जो भला वो ।
शराफ़त से भला कब तक रहेगा ॥
रक़ीबों का हमारी चाहतों में ।
बताओ दाख़िला कब तक रहेगा ॥
परिंदे ने नहीं सोचा हवा में ।
सलामत घोसला कब तक रहेगा ॥
हमारा हर घड़ी दिल तोड़ते हैं ।
ये उनका मश्ग़ला कब तक रहेगा ॥
चला है जो किसी की जुस्तजू में ।
सफ़र में क़ाफ़िला कब तक रहेगा ॥
दिलों के दुश्मनों से आख़िरश अब ।
हमारा दिल मिला कब तक रहेगा ॥
अगर हिम्मत हो ख़ुद की पर्बतों सी ।
रुका ये ज़लज़ला कब तक रहेगा ॥
शिकम के वास्ते भी कुछ जतन कर ।
सुखन में मुब्तिला कब तक रहेगा ॥
टिका 'सैनी' तेरे अब हौसले पर ।
मगर ये हौसला कब तक रहेगा ॥
डा०सुरेन्द्र सैनी
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