जब तलक फ़ासिला नहीं रहता ।
रिश्तों में कुछ मज़ा नहीं रहता ॥
आप जब-जब भी साथ होते हैं ।
दर्द से वास्ता नहीं रहता ॥
ज़र्रे-ज़र्रे में है निहाँ गरचे ।
इन बुतों में ख़ुदा नहीं रहता ॥
इश्क़ में या नशे की हालत में ।
आदमी काम का नहीं रहता ॥
पल में दुःख है तो पल में सुख आये ।
वक़्त ये एक सा नहीं रहता ॥
हाल दिल का तुझे सुनाने पर ।
बोझ दिल पर बना नहीं रहता ॥
तंग कितना भी कीजे 'सैनी' को ।
देर तक वो ख़फ़ा नहीं रहता ॥
डा०सुरेन्द्र सैनी
No comments:
Post a Comment