Thursday, 12 June 2014

वो ख़फ़ा नहीं रहता



जब तलक फ़ासिला नहीं रहता । 
रिश्तों में कुछ मज़ा नहीं रहता ॥ 

आप जब-जब भी साथ होते हैं । 
दर्द से वास्ता नहीं रहता ॥ 

ज़र्रे-ज़र्रे में है निहाँ गरचे । 
इन बुतों में ख़ुदा नहीं रहता ॥ 

इश्क़ में या नशे की हालत में । 
आदमी काम का नहीं रहता ॥ 

पल में दुःख है तो पल में सुख आये । 
वक़्त ये एक सा नहीं रहता ॥ 

हाल दिल का तुझे सुनाने पर । 
बोझ दिल पर बना नहीं रहता ॥ 

तंग कितना भी कीजे 'सैनी' को । 
देर तक वो ख़फ़ा नहीं रहता ॥ 

डा०सुरेन्द्र सैनी  

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