Thursday, 9 January 2014

सब कुछ

वो इशारों में कह गया सब कुछ |
लुट के मेरा तो रह गया सब कुछ ||

ज़ब्त की हद ज़रा सी क्या टूटी |
मेरे अश्कों में बह गया सब कुछ ||

अब तो यादों की दुन्या सूनी है |
उसके खाबों में  रह गया सब कुछ ||

बोल पड़ता तो बात बढ़ जाती |
आज चुपचाप सह गया सब कुछ ||

प्यार का जो तिलिस्म था दिल में |
तेरे जाने से ढह गया सब कुछ ||

वक़्त की इक हवा के झोखे से |
देख ले आज यह गया गया सब कुछ ||

था इरादा बुरा नहीं कुछ भी  |
फिर भी 'सैनी' तू कह गया सब कुछ ||

डा० सुरेन्द्र सैनी   

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