Tuesday, 21 January 2014

दोस्त सा नहीं मिलता

दिल को रख कर खुला नहीं मिलता ।
कोई मतलब बिना नहीं मिलता ॥

लोग कितने ही रोज़ मिलते हैं ।
एक भी दोस्त सा नहीं मिलता ॥

जिनको मिलता है ज़र विरासत में ।
दान का हौसला नहीं मिलता ॥

जिसपे चल कर मिले कभी मंज़िल ।
आज वो नक़श-ए -पा नहीं मिलता ॥

पारसाई का ढोंग करते हैं ।
पर कोई पारसा नहीं मिलता ॥

ज़ख़्म खाये पड़ा कोई कब से ।
नाम को रहनुमा नहीं मिलता ॥

जब भी इनआम बांटे जाते हैं ।
नाम 'सैनी' ही का नहीं मिलता ॥

डा० सुरेन्द्र सैनी  

No comments:

Post a Comment